कर्नाटक में हो रहा गजब खेल! सरकारी प्रोजेक्ट रिपोर्ट में मिले महाराष्ट्र के शहरों के नाम, अब कांग्रेस सरकार की हो रही किरकिरी

बेंगलुरु टनल रोड का DPR रिपोर्ट

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बेंगलुरु टनल रोड का DPR रिपोर्ट

बेंगलुरु टनल रोड प्रोजेक्ट को लेकर कर्नाटक में कांग्रेस सरकार की किरकिरी हो रही है। राजधानी बेंगलुरु में ट्रैफिक समस्या को कम करने के लिए सरकार ने टनल रोड प्रोजेक्ट पर काम करना शुरू किया, इसके लिए सरकार ने 9.5 करोड़ रुपये खर्च करके दिल्ली की एक प्राइवेट कंपनी को डिटेल्ड प्रोजेक्ट रिपोर्ट यानी DPR बनाने का काम दिया गया। तमाम सर्वे के बाद कंपनी ने DPR सबमिट किया है लेकिन उसमें कई सारी खामियां पाई गईं हैं, जिसने कंपनी के काम को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं।

दिल्ली की कंपनी को सौंपा गया था काम

कर्नाटक सरकार ने नई दिल्ली की एक प्राइवेट कंपनी रोडिक कंसल्टेंट्स को यह काम सौंपा था और नवंबर 2024 में कंपनी ने बेंगलुरु महानगर पालिका (बीबीएमपी) को रिपोर्ट सौंपी, जिसमें बेंगलुरु के हेब्बाल से सिल्क बोर्ड को जोड़ने वाली 18 किमी लंबी सुरंग सड़क की योजना की रूपरेखा दी गई है। इतना ही नहीं यह रिपोर्ट, सिर्फ 3 महीने में तैयार की गई, रिपोर्ट में बात बेंगलुरू की सड़कों की होनी थी लेकिन महाराष्ट्र के दो शहरों से यातायात का डेटा इसमें शामिल किया गया जिससे ये रिपोर्ट जांच के दायरे में आ गई है।

किया गया किसी दूसरे का कॉपी पेस्ट

प्रोजेक्ट रिपोर्ट के एक पन्ने पर, मालूर रोड, गुट्टाहल्ली मेन रोड और एनआर रोड पर ट्रैफिक वॉल्यूम का जिक्र करते हुए मालेगांव और नासिक के बीच ट्रैफिक विशेषताओं का संदर्भ शामिल है, आरोप लग रहे हैं कि रिपोर्ट को लेकर सरकार और कंपनी ने महज खाना पूर्ति की है और किसी और शहर के प्रोजेक्ट को बस केवल “कॉपी-पेस्ट” कर दिया है।

12,690 करोड़ का है प्रोजेक्ट

टनल रोड प्रोजेक्ट की अनुमानित लागत 12,690 करोड़ रुपये है, इसका प्रमुख उद्देश्य शहर के दो प्रमुख जंक्शनों: हेब्बाल और सिल्क बोर्ड के बीच यातायात की भीड़ को कम करना है। प्रस्तावित सुरंग को यात्रा के समय को 90 मिनट से घटाकर केवल 20 मिनट करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। इसमें मेखरी सर्कल, रेसकोर्स और लालबाग में प्रवेश और निकास के लिए तीन मध्यवर्ती रैंप शामिल होंगे, जिससे उत्तर-दक्षिण कॉरिडोर के साथ कनेक्टिविटी में सुधार होगा, लेकिन DPR में ही खामियों की वजह से अब इस प्रोजेक्ट को लेकर सरकार की मंशा पर सवाल खड़े हो रहे हैं।

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